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सज्जनता- कमज़ोरी नहीं मज़बूती है (Sajjanata Kamzori nahin mazbooti hai)

आज समाज के बदलते स्वरूप में सज्जन लोगों को कमज़ोर समझा जाता है, जबकि धर्मदृष्टि से सज्जन व्यक्ति स्वभाव से निर्भय और दृढ़ होते हैं. सज्जनता का अनुकरण करके आप जीवन के हर क्षेत्र में सफल साबित होते हैं. जिस समाज में सज्जनता के अनुगामी होते हैं, वो समाज सफलता की राह पर अग्रसर रहता है.
जिसने शीतल एवं शुभ सज्जन संगति रूपी गंगा में स्नान कर लिया,
उसको दान, तीर्थ, तप तथा यज्ञ से क्या प्रयोजन?
वाल्मीकि
सज्जनों की संगति होने पर दुर्जनों में भी सज्जनता आ ही जाती है.
क्षत्रचूड़ामणि
लाख विपत्ति आने पर भी सज्जन अपनी सज्जनता नहीं छोड़ते.
इसी सज्जनता से समूचे विश्व का कल्याण होता है.
अज्ञात
मनुष्य जिस संगति में रहता है, उसकी छाप उस पर पड़ती है.
उसका निज गुण छुप जाता है और वह संगति का गुण प्राप्त कर लेता है.
एकनाथ
परमेश्वर विद्वानों की संगति से प्राप्त होते हैं.
ऋृगवेद
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तीर्थों के सेवन का फल समय आने पर मिलता है,
किंतु सज्जनों के संगति का फल तुरंत मिलता है.
चाणक्य
अच्छी संगति बुद्धि के अंधकार को हरती है, वचनों को
सत्य के धार से सींचती है, मान को बढ़ाती है, पाप को
दूर करती है, चित्त को प्रसन्न रखती है और चारों ओर
यश फैलाकर मनुष्यों को क्या-क्या लाभ पहुंचाती है?
भर्तृहरि
विद्वानों की संगति से ज्ञान मिलता है, ज्ञान से विनय, विनय से
लोगों का प्रेम और लोगों के प्रेम से क्या नहीं प्राप्त होता?
अज्ञात
जिस तरह काजल अपना कालापन, मोती अपनी
स़फेदी नहीं त्यागता, उसी तरह दुर्जन अपनी
कुटिलता और सज्जन अपनी सज्जनता नहीं त्यागता.
कबीर
मनुष्य जन्म, मोक्ष की इच्छा और महापुरुषों की संगति,
ये तीनों दुर्लभ हैं और ईश्वर के अनुग्रह से ही प्राप्त होते हैं.
शंकराचार्य