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Shaheed Diwas: शहीदों की शहादत को नमन (Shaeed Diwas Special)

Shaheed Diwas, शहीदों की शहादत को नमन, Shaeed Diwas Special

23 मार्च 1931 का वो दिन आज एक बार फिर से ताज़ा हो गया. यही वो दिन था जब हंसते-हंसते देश के हीरो ने धरती मां के लिए ख़ुद को कुर्बान कर दिया था. उनकी शहादत का वो दिन हर हिंदुस्तानी को गर्व से भर देता है. मन में एक अजीब सा साहस भर जाता है. उन हीरोज़ के लिए मस्तक अपने आप झुक जाता है. भारतीय इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में 23 मार्च लिखा गया है. इस तारीख़ से हिंदुस्तान को अपना बीता हुआ कल और आज की झलक मिलती है.

  • क्रांतिकारी भगत सिंह तथा इनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को आज ही के दिन 1931 में फांसी दे दी गई थी. भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था.
  • भगत सिंह, शिवराम हरिनारायण राजगुरु और सुखदेव थापर में वतन परस्ती कूट-कूट कर भरी थी.
  • अंग्रेज़ों की नाक में दम करनेवाले इन हीरोज़ ने उऩकी चलती संसद में बम फेंककर हिंदुस्तान की आज़ादी की नींव को पुख़्ता किया था. इसके जुर्म में अंग्रेज़ों ने 3 हीरोज़ को सूली पर चढ़ाने का फैसला किया.
  • अंग्रेज़ों को लगा था कि ये छोटी उम्र के लड़के फांसी से डर जाएंगे और उनके क़दमों में सिर झुका देंगे, लेकिन वतन पर कुर्बान होनेवाले इन हीरोज़ ने वो कर दिखाया, जिसे करने के लिए बड़े-बड़े लोग कांप जाते हैं.
  • फांसी के तख्ते पर डरते हुए नहीं, बल्कि गाते हुए पहुंचे और फांसी के फंदे को चूमकर भारत माता की जय कहकर ख़ुद को माता की स्वतंत्रता के लिए कुर्बान कर दिया.
  • फांसी के फंदे को चूमकर उनके जीवन का तो अंत हो गया, लेकिन देश को एक नई सुबह मिल गई. एक ऐसी सुबह, जिसकी स्वतंत्र आबोहवा में आज हर हिंदुस्तानी खुलकर सांस ले रहा है.
  • शहीद दिवस के मौ़के पर शहीदों को मेरी सहेली (Meri Saheli) की ओर से शत-शत नमन!
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