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कहानी- प्यार की परिभाषा (Story- Pyar Ki Paribhasha)


"सोच लो। फिर ऐसा ना हो की ग़ुलाम अपनी रानी साहिबा को छोड़ दे." अनीता ने अमन से मुस्कुराते हुए कहा.
"जो चाहिए बोलो. आज पहली बार तुम मुझसे कुछ मांगोगी और तुम्हारा हक़ और बढ़ गया." अमन ने बड़े प्यार से कहा. "मुझे डेस्टिनेशन वेडिंग करनी है, ग्रीस में." अनीता ने एक ही सांस में अपनी बात कह दी.
"ग्रीस!" अमन भी कुछ पल के लिए चौंक-सा गया.

आज अमन बहुत ख़ुश था। आज उसकी और अनीता की सगाई थी। अमन और अनीता बचपन से ही साथ में थे। मुंबई शहर की भीड़भाड़ सड़कों के बीच में बसी एक २० मंज़िल बिल्डिंग में दोनों अपने परिवार के साथ रहते थे। अमन का घर बारहवीं मंज़िल पर था और अनीता का दसवीं मंज़िल पर।
दोनों एक ही स्कूल में पढ़े, स्कूल से दोस्ती हुई, यह दोस्ती कॉलेज तक भी आगे बढ़ी और फिर प्यार में तब्दील हो गई। दोनों के परिवार में भी काफ़ी मेलजोल था। दरअसल दोनों के परिवार उत्तर प्रदेश से ही थे और एक ही जाती के थे, इसलिए दोनों के परिवार ने भी उनके रिश्ते को मंज़ूरी दे दी थी। हालांकि दोनों के स्वभाव में ज़मीन-आसमान का फ़र्क था।
अमन एक शांत और सुलझा हुआ लड़का था। उसे दोस्त बनाने में काफ़ी समय लगता था। पढ़ाई में अव्वल था और उसने अपनी इंजीनियरिंग पूरी कर ली थी और एक बड़ी कंपनी में इंजीनियर की पोस्ट पर काम कर रहा था। दूसरी ओर अनीता यानी की बिना बंदिशोंवाली हवा। हर वक़्त वह ख़ुश रहती थी। चाहे अमन को कोई भी बड़ी चिंता क्यों न हो, अनीता उसके चेहरे पर मुस्कान ले आती। अगर अमन शांत पानी था, तो आरती पानी के अंदर का तूफ़ान। कहते है ना, अपोजिट अट्रैक्शन, बस वही थी वजह दोनों के गहरे प्यार की। आरती ने इंजीनियरिंग तो कर ली, लेकिन वह तो बिना बंदिशों की चिड़िया थी, वह उड़ना चाहती थी। इसीलिए उसने एयरहोस्टेस की ट्रेनिंग ले ली और एक बड़ी एयरलाइन्स में एयरहोस्टेस की नौकरी करने लगी।
दोनों अपनी ज़िंदगी में मस्त थे। अच्छी जॉब, एक-दूसरे के लिए ढेर सारा प्यार और क्या चाहिए! परिवार ने भी उनके प्यार को हामी भर दी थी। और आख़िर में वह दिन आ ही गया, जब दोनों के रिश्ते को नया नाम मिलनेवाला था। दोनों अब गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड के बदले मंगेतर बननेवाले थे।
सगाई की सारी रस्म ख़त्म हो गई थी। दोस्त, रिश्तेदार धीरे-धीरे आशीर्वाद दे के विदा ले रहे थे। परिवार की सहमति से दोनों रस्म ख़त्म होने के बाद अपनी सगाई को सेलिब्रेट करने के लिए बाहर आए। दोनों की ख़ुशी उनके चेहरे पर साफ़-साफ़ दिख रही थी।
अनीता ने अपने चुलबुले अंदाज़ में अमन से कहा, "मेरी गिफ्ट किधर है?"
अमन ने भी मज़ाकिया बनते हुए कहा, "मुझसे बढ़कर कोई बड़ी गिफ्ट हो सकती है क्या तुम्हारे लिए?" और यह सुनकर अनीता रूठने का नाटक करने लगी।
उसे मनाते हुए अमन बोला, "अच्छा सॉरी, मैं मज़ाक कर रहा था। क्या चाहिए हमारी रानी साहिबा को? यह ग़ुलाम उनका हर हुकुम अदा करेगा।" अमन काफ़ी रोमांटिक मूड में था।
"सोच लो। फिर ऐसा ना हो की ग़ुलाम अपनी रानी साहिबा को छोड़ दे।" अनीता ने अमन से मुस्कुराते हुए कहा।
"जो चाहिए बोलो। आज पहली बार तुम मुझसे कुछ मांगोगी और तुम्हारा हक़ और बढ़ गया।" अमन ने बड़े प्यार से कहा।
"मुझे डेस्टिनेशन वेडिंग करनी है, ग्रीस में।" अनीता ने एक ही सांस में अपनी बात कह दी.
"ग्रीस!" अमन भी कुछ पल के लिए चौंक-सा गया।
फिर उसने आरती को समझाने की कोशिश की ग्रीस में शादी करना कितना महंगा है और काफ़ी सारा ख़र्च हो सकता है। लेकिन अनीता उसकी बात समझ नहीं रही थी। वह ज़िद कर बैठी थी कि उसे शादी ग्रीस में ही करनी है।
अमन उसकी हर इच्छा पूरी करना चाहता था, लेकिन उसे यह भी पता था कि इतना ख़र्च वह और उसका परिवार उठा नहीं पाएगा। उसने अनीता को समझाने की काफ़ी कोशिश की, लेकिन अनीता ने उसकी एक ना मानी। और आख़िर में वह रूठकर खड़ी हुई और बोली, "मुझे तब तक फोन मत करना, जब तक तुम मेरी बात नहीं मानते।" और इतना कहकर वह वहां से चली गई। अमन ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा।
अनीता की ज़िद करने की आदत नई नहीं थी। वह कभी भी किसी भी बात पर ज़िद करती और अमन उससे पूरा भी करता, लेकिन इस बार जो हठ अनीता ने पकड़ी है, उसके बारे में अमन ने कभी सोचा भी ना था
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अमन अपने घर आया और चुपचाप अपने कमरे में चला गया। उसने घरवालों को कुछ नहीं बताया। उसे लगा एक-दो दिन में अनीता शांत हो जाएगी और फिर वह उसे मना लेगा। लेकिन उसे क्या मालूम था कि आज के बाद उसकी और अनीता के प्यार की नई परिभाषा जन्म लेगी।
दो दिन तक अनीता का ना ही फोन आया और ना ही उसने अमन का फोन उठाया। तभी उसकी मां ने पूछा, "बेटा, सगाई के बाद अनीता दिखी नहीं। पहले तो रोज़ घर आती थी, लेकिन उस दिन के बाद वह दिखी भी नहीं। सबकुछ ठीक तो है तुम दोनो के बीच में?" अमन की मां ने उसे प्यार से पूछा।
"हां मां। सब ठीक है। हो सकता है तबियत ख़राब हो।" अमन ने अपनी नज़रे चुराते हुए अपनी मां से कहा।
"बेटा तुम जरा देखकर आओ वह कैसी है। आजकल न्यूज़ चैनल पर जो कोरोना की ख़बरें आ रही है उससे मुझे चिंता हो रही है। और पता नहीं उसकी फ्लाइट में अगर किसी कोरोनाग्रस्त ने सफ़र किया होगा तो! बेटा तू मेरे लिए एक बार देखकर आ जा, मुझे बड़ी चिंता हो रही है।" अमन की मां ने उसे चिंताभरे स्वर में कहा।
"चिंता मत करो मां में अभी जाता हूं।" और इतना कहकर अमन तुरंत ही अनीता के घर जाने के लिए निकल गया। सिर्फ़ दो ही मंज़िल का फासला था इसलिए उसे ज़्यादा वक़्त नहीं लगा पहुंचने में। उसने जा के देखा, तो अनीता के फ्लैट के दरवाज़े पर ताला लगा हुआ था। ताला देखकर उसे थोड़ा अजीब लगा। उसने तुरंत ही अनीता को फोन किया, लेकिन उसका फोन बंद आ रहा था।
अमन ने कुछ पल के लिए सोचा और उसने अनीता के पिताजी को फोन किया। सामने से अनीता के पिताजी ने फोन उठा लिया, तो अमन तुरंत ही बोल पड़ा, "नमस्ते अंकल। में अनीता को फोन लगा रहा था, लेकिन उसका फोन बंद आ रहा है। और यहां आ कर देखा, तो घर के दरवाज़े पर ताला लगा हुआ है?"
सामने से अनीता के पिताजी ने बड़े आराम से जवाब देते हुए कहा, " बेटा हम लोग दिल्ली आए है। अनीता की दादी सगाई में नहीं आ पाई था ना, तो उनका आशीर्वाद लेने के लिए आए है। प्लान कल रात को ही बना और सुबह की फ्लाइट से हम यहां आए है। शायद अनीता के फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो गई होगी, मैं उसे कहता हूं तुम्हें फोन करे। ओके बेटा और कुछ?"
अमन कुछ बोलने जा रहा था, तभी अनीता के पिताजी ने कहा, "और हां अपनी मां-पिताजी को मेरा एक मैसेज देना बेटा। उनको कहना हम दिल्ली आए है अनीता की दादी का आशीर्वाद लेने. हम लोग चार-पांच दिन में आ जाएंगे। आने के बाद हम शादी की तैयारी के बारे में बात करेंगे। ओके बेटा, जय भैरव!" इतना बोलते ही उन्होंने फोन रख दिया।
अमन ने भी अपनी ओर से धैर्य से उनकी बात को सुना। फोन कट होने के बाद वह सोचने लगा कि इतना गुस्सा की अनीता ने एक बार भी नहीं बताया की वह दिल्ली जा रही है। वह समझ गया कि इस बार आसान नहीं होगा अनीता को मनाना। वह वापस अपने घर गया और अपनी मां को अनीता के पिताजी का मैसेज दिया।
शाम को अमन परिवार के साथ चाय-नाश्ता कर रहा था और टेलीविज़न पर देश के प्रधानमंत्री देश को सम्बोधित कर रहे थे। पूरा परिवार उनकी बात को ध्यान से सुन रहा था। हालांकि अमन का ध्यान अपने मोबाइल की तरफ़ था. वह हर कुछ पल के बाद मोबाइल को देखता कि शायद अनीता ने कोई फोन या मैसेज किया हो, लेकिन हर बार उसे निराश ही हाथ लगती. तभी प्रधानमंत्रीजी ने घोषणा की कि कोरोना महामारी को काबू करने के लिए और उससे लड़ने के लिए आज रात से देशभर में लाॅकडाउन होने जा रहा है। कोई भी ट्रैन, बस और फ्लाइट्स के द्वारा सफ़र नहीं कर पाएंगे। घोषणा सुनते ही अमन की मानो पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई।

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अमन तुरंत ही उठकर अपने कमरे में चला गया और दरवाज़ा बंदकर दिया। उसने अनीता को ना जाने कितनी बार फोन किया, लेकिन अनीता हर बार फोन कट कर देती। और आख़िर में अमन थक गया और अपने बिस्तर पर सिर पकड़कर बैठ गया। वह अनीता के लिए चिंतित हो गया। तभी उसके फोन का मैसेज टोन बजा। अमन ने देखा तो अनीता का मैसेज था। अनीता का मैसेज देखते ही अमन की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा, लेकिन यह ख़ुशी ज़्यादा देर तक नहीं थी।
मैसेज में अनीता ने साफ-साफ़ लिखा था कि वह अपनी बात पर कायम है और अमन उससे बार-बार मैसेज और कॉल करके परेशान ना करे। अगर अमन उसकी बात पूरी नहीं कर सकता, तो वह यह सगाई तोड़ देगी। अनीता का मैसेज पढ़ते ही अमन को जैसे झटका लगा और वह मायूस-सा हो गया। वह अनीता को अच्छी तरह से जानता था और उसे मालूम था कि अनीता ने जो ठान ली वह करके ही मानेगी। अमन थोड़ा रोने जैसा हो गया और अपने कमरे के अकेलेपन का फ़ायदा उठाते हुए अपने आंसू को बहने से रोका नहीं।
लाॅकडाउन में दिन गुज़रने लगे। अमन अपने दुख को छुपाकर चेहरे पर झूठी हंसी लेकर सबसे सामने आता और ज़्यादातर वह अपने कमरे में ही रहता। न्यूज़ चैनल पर कोरोना की ख़बरें और बढ़ते हुए मरीज़ों की संख्या उसके मन में अनीता के लिए चिंता और पैदा कर देती, लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। हर पल उसे मन करता की अनीता को फोन या मैसेज करे, लेकिन अपने आपको रोक लेता। उसे डर था की कही उसकी यह हरकत की वजह से अनीता सगाई तोड़ ना दे।
हालांकि अमन के मां-पिता और अनीता के माता-पिता के बीच हर तीन-चार दिन में बात होती रहती और उससे अमन को मालूम पड़ता कि अनीता कुशल से है। अमन की मां को धीरे धीरे अमन के दुख का अंदाज़ा होने लगा था। वह देख रही थीं कि उसके बेटे को कोई बात खाई जा रही है।
अमन अपने कमरे में बैठा हुआ था, तभी उसकी मां उसके लिए नाश्ता लेकर आई। अपनी मां को देखकर अमन थोड़ा चौंक गया और बोला, "अरे मां! तुमने क्यों तकलीफ़ की मुझे बुला लेतीं? "
अमन की मां ने उसकी आंखों में देखा, तो अमन ने अपनी नज़रे चुराने की कोशिश की। अमन की मां ने नाश्ता बिस्तर के पास रखे एक छोटे टेबल पर रखा और अमन के पास बैठकर बोली, " बेटा, काफ़ी दिनों से देख रही हूं कि तू किसी उलझन में है। क्या बात है बेटा?"
"नहीं मां कुछ भी तो नहीं है। मै एकदम ठीक हूं।" अमन ने अपनी नज़रे चुराते हुए कहा।
"मां हूं तेरी। नौ महीने अपनी कोख में रखा है तुझे। तुझे तुझसे ज़्यादा में जानती हूं। अब बता बात क्या है? " अमन की मां ने कहा।
उनकी बात सुनकर अमन भावुक हो गया और उसकी आंखों में आंसू आ गए। अपने बेटे की आंख में आंसू देखकर मां का दिल भी रो उठा और वह बोल पड़ीं, " बेटा क्या हुआ? क्या बात है, जो तुम्हे खाए जा रही है?"
अमन अपने मां के गले लग गया और एक बच्चे की तरह रोने लगा। उसकी मां ने भी उसको अपना मन हल्का करने दिया। कुछ पल के बाद अमन शांत हुआ और अपनी मां को धीरे-धीरे सब बात बताई। अमन की मां ने उसकी पूरी बात सुनी और कहा, "बस, इतनी सी बात के लिए तू दुखी था! मेरे प्यारे बेटे एक बार तो मांगा होता इस मां से, क्या तू इतना बड़ा हो गया कि अपनी मां से कुछ नहीं मांगेगा!"
"नहीं मां ऐसी बात नहीं है, लेकिन मैं आप लोगो को मुसीबत में नहीं डालना चाहता था। " अमन ने कहा।
"मुसीबत! कैसी मुसीबत? एकलौते बेटे की ख़ुशी अपने मां-बाप के लिए अभिमान होती है। अनीता मेरी होनेवाली बहू है और उसका पूरा अधिकार है अपने होनेवाले पति से कुछ मांगने का और आखिरकार शादी एक ही बार होती है बेटे, तो वह यादगार तो होनी ही चाहिए।" अमन की मां की आंखों में एक चमक थी।
"लेकिन मां अनीता की मांग है ग्रीस में शादी करना और कितना ख़र्चा होगा। आना-जाना, रहना सब कुछ। मां हम इतना नहीं अफ़्फोर्ड कर सकते।"
"कौन कहता है की हम अफ़्फोर्ड नहीं कर सकते?" और अमन के पिताजी कमरे में दाखिल हुए।
"पिताजी आप!" अमन के मूह से अनायास निकल गया।
"हां बेटा में। मेरी तीन करोड़ की म्यूचुअल फंड मैच्योर हो रही है अगले महीने और तुम्हारे गुप्ता अंकल का वहां अपना होटल है, जो हमे किफायती दाम में मिल जाएगा, तो अब प्रॉब्लम क्या है? और वैसे भी जो भी होगा लाॅकडाउन के बाद ही होगा, तब तक थोड़ा और ब्याज कमा लेंगे।"
अपने पापा की बात सुनते ही अमन की चेहरे की ख़ुशी लौट आई और ख़ुशी के मारे रोते हुए अपने माता-पिता के गले लग गया। वे भी उसे प्यार से सहलाने लगे।
"मैं अभी अनीता को यह ख़ुशख़बरी देता हूं!"
"हां बेटा जल्दी दे दो ख़ुशख़बरी मालूम पड़ा तुमको यहां रखकर अनीता अकेली ही ग्रीस चली गई." अमन के पापा ने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा।
"आप भी ना, मेरे बेटे को परेशान मत करो। जा बेटा जल्दी से मेरी बहू को फोन लगा।" अमन की मां ने कहा।
अमन ने तुरंत ही बिना समय गवाएं अपने मोबाइल से अनीता का नंबर लगाया, लेकिन उसका फ़ोन बंद आ रहा था। उसने अपने माता-पिता को अनीता के माता-पिता को फोन करने के लिए कहा। उन्होंने भी कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। अनीता के माता-पिता का भी फोन नहीं लग रहा था। अमन ने उसके दादी के नंबर पर फोन करने के लिए कहा, लेकिन उसके माता-पिता के पास अनीता की दादी का नंबर नहीं था।

अमन वापस मायूस हो गया। उसने मन ही मन यह सोच लिया कि अनीता ने अपने माता-पिता को बोल के सगाई तोड़ने का फ़ैसला लिया होगा, इसीलिए उन लोगों ने अपने नंबर बंद कर दिए हैं। अमन के माता-पिता ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे।
एक-एक दिन गुज़र रहे थे और अमन मायूसी के अंधरे में उतर रहा था। उसके माता-पिता से उसकी यह हालत देखी नहीं जा रही थी और वह किसी तरह से अनीता और उसके परिवार से काॅन्टेक्ट करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हर बार वे लोग असफल होते। एक तरफ़ देश कोरोना महामारी और लॉकडाउन का सामना कर रहा था और एक तरफ़ अमन की ज़िंदगी भी लॉकडाउन की तरह सिमट रही थी।
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ना खाने का ध्यान ना पीने का ध्यान और मुस्कुराना तो जैसे वह भूल ही गया था। दिनभर अपने कमरे में ही रहता और दिनभर अनीता की यादों में और उसके साथ बिताए हुए ख़ुशीभरे लम्हों को याद करता। उसके माता-पिता उसे समझाने की कोशिश करते, लेकिन असफल रहते।
एक दिन अमन अपने बिस्तर पर सो रहा था और तभी मोबाइल फोन की रिंग बजी। अमन ने बिना देखे ही फोन कट कर दिया। कुछ पल के बाद वापस फोन की रिंग बजी। इस बार अमन ने नींदभरी आंखों से फोन की स्क्रीन पर देखा, तो उसकी नींद ही उड़ गई, अनीता के नंबर से वीडियो कॉल आ रहा था।
अमन तुरंत ही नींद से उठकर बैठ गया और फ़ोन रिसीव किया। उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, क्योंकि सामने वीडियो कॉल पर अनीता ख़ुद थी। अनीता की आंखे भी नम थी। "अमन आई लव यू" अनीता ने कहा और रोने लगी।"
"आई लव यू टू। कहां हो? आई मिस्ड यू। " अमन ने भी ख़ुशी के मारे कहा।
फिर अनीता ने अपने आपको शांत करते हुए कहा, "मैं दो दिन में आ रही हूं। आकर सारी बात बताती हूं। तब तक अपना ख़्याल रखना एंड आई लव यू।" और अनीता ने फोन कट कर दिया।
अमन की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। वह दौड़ते हुए अपने कमरे के बाहर गया और अपने माता-पिता को सारी बात बताई। वे लोग भी अमन की बात सुनकर ख़ुश हुए और अपने बेटे के चेहरे पर लौटी हुई मुस्कान को देखकर मन ही मन भगवान का धन्यवाद करने लगे। अमन की ख़ुशी इस वक़्त आसमान की ऊंचाई को छू रही थी और क्यों ना हो, आख़िरकार उसके प्यार के लॉकडाउन का अनलॉक हो रहा था।
अमन अब इस दो दिन के गुज़रने की राह देख रहा था, लेकिन एक-एक पल उसके लिए सदियों जैसे थे। जैसे-तैसे करके दो दिन बीत गए। तीसरे दिन की सुबह को बिल्डिंग में एक एम्बुलेंस आई। उसमें से अनीता और उसका परिवार निकला। अमन अपनी बालकनी में से यह सब देख रहा था। एम्बुलेंस में से एक और आदमी निकला, जिसने पूरे शरीर को ढंक रखा था। मुंह में मास्क और हाथों में ग्लव्स थे। आंखों पर भी प्लास्टिक के बड़े चश्मे चढ़ा रखे थे। उसने अनीता और उसके परिवार को कुछ काग़ज़ दिए और फिर वापस एम्बुलेंस में बैठ गया। एम्बुलेंस वापस चली गई और अनीता अपने परिवार के साथ बिल्डिंग में दाखिल हुई।
अमन तुरंत ही भागा, जल्दबाज़ी में उसने चप्पल भी नहीं पहने थे। अनीता और उसके परिवार के पहले वह पहुंच गया और अनीता के फ्लैट के बाहर खड़ा होकर लिफ्ट की तरफ़ देखने लगा। लिफ्ट धीरे-धीरे नीचे से ऊपर आ रही थी । ५, ६ ७, जैसे-जैसे लिफ्ट ऊपर आ रही थी, अमन के दिल की धड़कन भी तेज़ हो रही थी। १० मंज़िल पर आते ही अनीता लिफ्ट के बाहर आई और उसकी नज़र सामने खड़े अमन पर पड़ी। वह तुरंत ही भागकर अमन के गले लग गई और एक बच्चे की तरह रोने लगी ।
अमन की आंखों में भी आंसू थे और वह उससे प्यार से सहला रहा था। लिफ्ट के बाहर खड़े अनीता के माता-पिता और सीढ़ियों पर खड़े अमन के माता-पिता भी भावुक हो गए और उनकी आंखें भी नम हो गई थीं। अनीता अभी भी अमन से लिपटकर रो रही थी। अमन के माता-पिता ने अनीता और उसके परिवार को अपने घर पर आने के लिए कहा और वहा शांति से बैठ के बात करने के लिए कहा। अनीता के पिताजी ने तुरंत ही अमन के परिवार के सामने अपने हाथ जोड़े और रोने लगे। अमन के पिताजी ने तुरंत ही उनको गले लगाकर संभाला और उन तीनों को अपने घर ले गए।
अमन की मां सब के लिए चाय-नाश्ता लेकर आई। सब सोफे पर शांत बैठे थे। अमन और अनीता एक कोने में खड़े थे। इस बैचेनीभरी शांति को तोड़ते हुए अमन के पिताजी ने कहा, "जी आप लोग कुछ लीजिए। इतनी लम्बी यात्रा में थक गए होंगे।" उनकी बात सुनकर अनीता वापस रोने लगी। आज अनीता का एक अलग ही रूप था। चूलबुल अनीता की जगह एक शांत और गंभीर अनीता अमन के सामने खड़ी थी।
अनीता के पिता ने बात शुरू करते हुए कहा, "हम सगाई के दो दिन बाद दिल्ली गए थे मेरी मां से मिलने। वह सगाई में नहीं आ पाई थीं, तो उनका आशीर्वाद लेने के लिए गए थे। वैसे कोई प्लान नहीं था, लेकिन सगाई के दूसरे दिन रात में अनीता ने अचानक से हमसे अपनी इच्छा बताई और हम दूसरे दिन निकल गए। दूसरे ही दिन लॉकडाउन हुआ, तो हम लोग उधर ही फंस गए थे। "
अपनी बात बोलकर अनीता के पिताजी रुक गए और थोड़ा पानी पिया। फिर एक नज़र सब पर डालने के बाद बोलना शुरू किया," वैसे तो हम अपने बच्चों को सिखाते है कि अपने मां-बाप की बात मानो, लेकिन कभी-कभी हम बड़े लोग ही यह बात भूल जाते है। यही ग़लती हमसे हुई।" अनीता के पापा का गला भर आया और उन्होंने एक घूंट पानी और पिया और अपनी बात आगे बढाई।
"सरकार के नियमों का उल्लंघन करने में मुझे पता ही नहीं चला कि मैं अपने परिवार के लिए ख़तरा बन रहा हूं। रोज़ सुबह वॉक पर जाना और शाम में पार्क में जाना मेरा नियम बन गया था। एक-दो बार तो मैं पुलिस को धोखा देकर दिल्ली से द्वारका तक जाकर आया था। एक दिन अचानक पता नहीं कैसे, लेकिन मेरी तबियत ख़राब हो गई। बुखार और गले में तकलीफ़ हो गई । हमने वहा पर टेस्ट कराया, तो मालूम पड़ा कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं। " इतना बोलते अनीता के पापा चुप हो गए। बाकि सब लोग भी उन्हें देख रहे थे। अमन ने अनीता की तरफ़ देखा, तो अनीता ने अपना सिर शर्म के मारे झुका दिया। उसकी आंख में अभी भी आंसू थे।
अनीता के पापा ने आगे कहना शुरू किया," जब मुझे पता चला कि में कोरोना पॉजिटिव हूं तो मुझे ख़ुद से ज़्यादा अपने परिवार की चिंता हुई। सबका टेस्ट हुआ। अनीता, अनीता की मां, मेरे भाई, उसकी बीवी और मेरी मां सबका टेस्ट हुआ और जिसका डर था वही हुआ। मेरी वजह से मेरा सारा परिवार इस महामारी का शिकार हो चुका था। हम लोगों को हॉस्पिटल ले जाया गया और तीन हफ़्ते हम लोगों का लगातार इलाज हो रहा था।" अनीता के पापा का गला भर आया और उनकी आंखों मैं आंसू आ गए।
अमन के पापा ने तुरंत ही उनके कंधे पर हाथ रखते हुए उनकी हिम्मत बंधाई। उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "हम लोग तो इस महामारी को हराने में सफल रहे, लेकिन मेरी मां उसे नहीं हरा पाई। हमे उनके आख़री दर्शन भी नहीं करने को मिले।" और इतना कहकर वह रोने लगे। सबकी आंखें नम थीं और सब के आंखों में आंसू थे। अमन के माता-पिता अनीता के माता-पिता को दिलासा दे रहे थे। कुछ देर बाद अनीता के पापा ने कहा, "मेरे एक रिश्तेदार की मदद से हम हॉस्पिटल से निकलकर सीधा मुंबई के लिए एम्बुलेंस में रवाना हुए। हमने तो कोरोना को हराया लेकिन मेरी मां…" और इतना बोलते वह वापस रोने लगे।
माहौल काफ़ी ग़मगीन था। सबकी आंखों में आंसू थे। तभी अनीता ने अमन का हाथ पकड़ा और कहा, "क्या तुम मुझे माफ़ करोगे?" अनीता की आंखें नम थीं।
अमन कुछ बोले उसके पहले ही अनीता ने कहा, "इस २१ दिन, जो हॉस्पिटल में बिताए, तब मुझे एहसास हुआ कि मैं अपनी ज़िद की वजह से क्या खो रही थी। तुम्हें याद है बचपन में अगर मुझे जरा-सी खरोंच भी आती, तो तुम मेरा कितना ख़्याल रखते? पढ़ाई के बहाने बार-बार मेरी ख़बर लेने आते। हम बड़े हुए, लेकिन तुमने अपने प्यार को कभी कम नहीं होने दिया। हर पल मैंने तुम्हारे साथ बिताए हुए हर पल को वापस जिया इस २१ दिनों में और तब जाकर मालूम हुआ कि मेरा असली डेस्टिनेशन ग्रीस नहीं, तुम्हारा दिल है। आज सही मायने में प्यार की असली परिभाषा समझ में आई। अपनों का साथ ही असली प्यार है। अगर आज में वापस आई हूं, तो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे प्यार की वजह से।" अनीता की आंखों में आंसू थे।
अनीता ने अपने आंसू को पोछा और आगे अपनी बात बढ़ाते हुए बोली, "मैं तो अपनी ज़िद में भूल ही गई थी कि मैं अपने इस प्यारे से रिश्ते के साथ खेल रही हूं। मैंने तुम्हारा और तुम्हारे प्यार का अपमान किया है। शायद आज मेरी ही ज़िद की वजह से दादी हमारे बीच नहीं है, क्योंकि मैंने ही पापा को गुस्से में आकर वहां जाने के लिए कहा था। आज तुम्हारी अनीता अपनी ही नज़रों में गिर गई है अमन।" अपनी बात पूरी करते-करते अनीता रोने लगी।


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"नहीं अनीता ख़ुद को दोष देने से जो हुआ वह बदला तो नहीं जा सकता। माना की तुमने ज़िद की, लेकिन क्या इसी वजह से तुम ग़लत हो गई? तुम अपने होनेवाले पति से नहीं मांगोगी, तो किसे कहोगी? और वैसे भी तुम्हारे दूर जाने के बाद मुझे भी पता चला है कि मेरे जीवन में तुम्हारा कितना महत्व है। हम कुछ दिन दूर ज़रूर थे, लेकिन इसी दूरी ने हमारे बीच की नज़दीकी को और बढ़ा दिया है। आई लव यू अनीता।" अमन ने भी अपने दिल की बात बोल दी।
अमन की बात सुनकर अनीता रोते-रोते अमन के गले लग गई और अमन ने तुरंत ही अनीता को गले लगा लिया और दोनों की आंखों में से आंसुओं की धारा बहने लगी। उन दोनों के माता-पिता भी दोनों को मन ही मन आशीर्वाद दे रहे थे। देश का लॉकडाउन तो जारी था, लेकिन अमन और अनीता के प्यार की नई परिभाषा अनलॉक हो गई थी।

Nirav Shah
नीरव शाह

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