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कॉम्पटिशन ज़रूरी है, लेकिन… (Try To Do Healthy Competition)

display_banner_ads_versus_text_ads सर्वश्रेष्ठ बनने और सर्वश्रेष्ठ पाने की चाह से ही शायद कॉम्पटिशन शब्द का जन्म हुआ होगा. कॉम्पटिशन सकारात्मक हो तो आपको बहुत आगे ले जा सकती है, लेकिन नकारात्मक प्रतिस्पर्धा आपके साथ-साथ दूसरों को भी नुक़सान पहुंचा सकती है. अतः ऐसी कॉम्पटिशन से बचें, जो आपको ग़लत दिशा में ले जाए. बचपन से ही हम अपने बच्चों का कॉम्पटिशन शब्द से भलीभांति परिचय करा देते हैं. दूसरे बच्चों से उनकी तुलना करके, उनसे आगे निकलने की नसीहतें देकर हम उन्हें कॉम्पटिशन करना सिखा देते हैं, लेकिन ऐसा करते समय हम उन्हें ये बताना अक्सर भूल जाते हैं कि दूसरों से तुलना करने से पहले अपनी क्षमता को पहचानें. आगे बढ़ना अच्छी बात है, लेकिन दूसरों से प्रेरणा लेकर, उन्हें नुक़सान पहुंचाकर नहीं. अतः किसी से भी प्रतिस्पर्धा करने से पहले उसके नफा-नुक़सान के बारे में अच्छी तरह सोच लें. अपनी क्षमता को पहचानें बड़े सपने देखना, उन्नति की राह पर चलना बिल्कुल सही है, लेकिन ऐसा करते समय हमें अपनी क्षमता का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए. आप एक एवरेज स्टूडेंट हैं, लेकिन अपने दोस्त की देखादेखी में आप मेडिकल में एडमिशन के सपने देख रहे हैं, तो आपका ये सपना टूट सकता है. अपने सपने को पूरा करने के लिए आपको उस लेवल की पढ़ाई करनी होगी या फिर मेडिकल से संबंधित कोई और विकल्प ढ़ूंढ़ना होगा. करियर का चुनाव दूसरों को देखकर या कॉम्पटिशन के चलते नहीं करना चाहिए. ये जीवन का अहम् ़फैसला है. इसके लिए आपका उस क्षेत्र के लिए सक्षम होना ज़रूरी है. दूसरों से सीखें ज़रूरी नहीं कि हम हर बार अपनी ग़लती से ही सीखें, दूसरों की ग़लती से सबक लेकर भी हम वैसी भूल करने से बच सकते हैं. इसी तरह दूसरों को तऱक्की करते देख उनसे ईर्ष्या करने की बजाय हम उनकी तरह बनने की कोशिश कर सकते हैं. इस तरह हेल्दी कॉम्पटिशन से हम न स़िर्फ अपनी ग्रोथ बढ़ा सकते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं.
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ईर्ष्या से बचें उसे मुझसे अच्छी जॉब क्यों मिली, उसका घर मुझसे बड़ा क्यों, उसकी कार मेरी कार से महंगी क्यों..? इसे कॉम्पटिशन नहीं ईर्ष्या कहेंगे, इसकी बजाय यदि आप हेल्दी कॉम्पटिशन रखेंगे तो आप भी अच्छी जॉब, घर, गाड़ी आदि पाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे और अपनी क़ाबीलियत के दम पर वो तमाम चीज़ें हासिल कर लेंगे. अतः किसी से ईर्ष्या करने की बजाय हेल्दी कॉम्पटिशन रखें और तऱक्की पाने के लिए ख़ूब मेहनत करें. मेहनत से मिलती है मंज़िल सही समय पर सही दिशा में किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता, लेकिन इसके लिए आपको अपनी क्षमता और लक्ष्य के बारे में अच्छी तरह पता होना चाहिए. दूसरों को देखकर अपनी ज़िंदगी के ़फैसले करना समझदारी नहीं है. हर इंसान के पास एक ऐसा हुनर ज़रूर होता है, जो उसे कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचा सकता है. हमें बस उस हुनर को पहचानना होता है और उसी दिशा में आगे बढ़ना होता है. अतः अपनी क्षमता को पहचानें और मेहनत से पाएं अपनी मंज़िल.
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