आम (Benefits Of Mango) के पके फल में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, वसा और आयरन पाया जाता है. आम आंतों के लिए टॉनिक का काम करता है और आमाशय संबंधी रोगों को दूर करता है. दूध और घी के साथ आम का सेवन करने से वायु और पित्त संबंधी विकारों का शमन होता है. आम की गुठली सेंककर खाने में मीठी लगती है. साथ ही यह ख़ूनी बवासीर, दस्त, ख़ूनी पेचिश और रक्तपित्त में बहुत उपयोगी भी है. आम में विटामिन ए, बी और सी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
* आम की गुठली की गिरी का बारीक चूर्ण उदरकृमि रोग में लाभदायक होता है. इसे 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करना चाहिए. यह नुस्ख़ा रक्तप्रदर और ख़ूनी बवासीर में भी लाभप्रद है.
* नकसीर फूटने (नाक से ख़ून बहना) पर आम का ताज़ा बौर सूंघने से लाभ होता है.
* लू पीड़ित व्यक्ति को आम का पना देना चाहिए. आम को आग में भूनकर उसका रस बनाकर छान लें. फिर इसमें जीरा चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर मरीज़ को पिलाएं. इससे तुरंत लाभ होगा. यदि हर रोज़ थोड़ी मात्रा में भोजन के साथ इसका सेवन किया जाए, तो लू का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है.
* आम के बौर को पीसकर उसे एरंडी के तेल में पकाकर कपड़े से छानकर रख लें. इस तेल की दो-दो बूंदें कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है.
* बिच्छू-बर्रे आदि के काटने पर आम्रमंजरी को पीसकर लगाने से विष का प्रभाव कम हो जाता है.
* संग्रहणी रोग में आम के सूखे बौर का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार पानी के साथ लेने पर लाभ होता है.
* आम के पेड़ की अंतरछाल का स्वरस और आम के छिलके का रस सम मात्रा में निकालें. इसमें से एक चाय का चम्मच रस 50 ग्राम ठंडे पानी में मिलाकर पीएं. ऐसा दिन मेंं 5-6 बार करने से गर्भाशय, फेफड़े और आंतों से होनेवाला रक्तस्राव शीघ्र रुक जाता है.
* 200 ग्राम आम का रस और 150 ग्राम शुद्ध शहद मिलाकर कांच के बर्तन में रख लें. इसे 20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें और ऊपर से गाय या बकरी का दूध पीएं. इससे रतिशक्ति बढ़ती है. यह योग पुराना ज्वर, खांसी आदि में भी लाभदायक है.
* आम की गुठली से तेल निकाला जाता है, जो संधिवात (गठिया) और शूल में लाभदायक है. इस तेल से मालिश करने से हृदय की जलन दूर होती है.
* आम के पेड़ की अंतरछाल का शीत रस और चूने का पानी 10 ग्राम मिलाकर एक सप्ताह तक पीने से प्रदर रोग, ख़ूनी बवासीर, प्रमेह, उदरकृमि आदि विकार दूर हो जाते हैं.
* आम को छीलकर मोटे टुकड़ों में काट लें. फिर पानी में थोड़ी फिटकरी डालकर उबालें. जब वह खटाई रहित हो जाए, तो उसे उतार लें. इसके बाद इसे घी में भूनकर रख लें. इसके बाद आम के टुकड़ों का चार गुना शक्कर लेकर चाशनी बनाएं और उसमें टुकड़ों को डालकर पका लें. ऊपर से इलायची, केसर आदि भी डाल दें. यह मुरब्बा 10 से 20 ग्राम प्रतिदिन खाने से पित्त दोष का शमन होता है.
- ओमप्रकाश गुप्ता
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