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बच्चों के मानसिक विकास के लिए एक्सरसाइज़ ज़रुरी (Now Physical Exercise Can Develop Your Child’s Intellect)

Physical Exercise अगर आपको लगता है कि बच्चे (Child) को पढ़ाई में अव्वल आने के लिए स़िर्फ किताबें रटवाना ज़रूरी है तो आप पूरी तरह ग़लत हैं. शैक्षिक प्रदर्शन और क्लास में बढ़िया ग्रेड्स लाने के लिए बच्चे की मानसिक क्षमता व बुद्धि सहित अन्य बहुत सी चीज़ें जिम्मेदार हैं. इसके लिए बच्चे की शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health) को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. शारीरिक सक्रियता और स्वास्थ्य व्यक्ति के सीखने की क्षमता को बढ़ाते हैं. नैशनल एकैडमी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, व्यायाम करने से बच्चे का स्वास्थ्य तो अच्छा रहता ही है, उसके सीखने की क्षमता और एकैडमिक परफॉर्मेंंस भी बेहतर होती है.
बच्चे के शैक्षिक योग्यता को प्रभावित करनेवाली चीज़ें
बच्चे की शिक्षा में आईक्यू लेवल के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक, व्यक्तिगत पहलू और आस-पास का माहौल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इन सभी चीज़ें का प्रभाव अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग होता है. बच्चे की शिक्षा को प्रभावित करनेवाली ऐसी ही कुछ चीज़ें हैं- * टीचर का सहयोग और पढ़ाने का तरीक़ा * बच्चों के मानसिक  विकास के लिए एक्सरसाइज़ ज़रुरी मानसिक स्वास्थ्य * दोस्तों का व्यवहार * परिवार का एजुकेशनल बैकग्राउंड * माता-पिता का सहयोग * सामाजिक-आर्थिक तत्व यह भी पढ़े: कहीं आपके बच्चे को नशे की लत तो नहीं? (Does Your Child Have An Addiction Problem?)
एक्सरसाइज़ का पढ़ाई पर असर
बहुत से शोधों से यह सिद्ध हुआ है कि जो बच्चे रोज़ाना एक्सरसाइज़ करते हैं और शारीरिक रूप से ज़्यादा सक्रिय रहते हैं, उनमें ऐसा न करनेवाले बच्चों की तुलना में निम्न गुण पाए जाते हैं. * वे ज़्यादा एकाग्र होते हैं. * उनकी याद्दाश्त तेज़ होती हैं. * उनकी कार्डियोवैस्कुलर फंक्शनिंग भी बेहतर होती है. * फिटनेस लेवल अच्छी होती है. * उनका मेटाबॉलिक फंक्शन बेहतर होता है. * हड्डियां मज़बूत होती हैं. * समस्या समाधान की क्षमता बेहतर होती है. * एकैडमिक टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन करते हैं. * एकैडमिक परफॉर्मेंस भी धीरे-धीरे बेहतर होती जाती है. * क्रिएटिव थिंकिंग और रिएक्शन टाइम भी अच्छी होती है. * मूड सकारात्मक रहता है.
एक्सरसाइज़ का दिमाग़ पर असर
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया में हुए शोध के अनुसार, नियमित रूप से एरोबिक एक्सरसाइज़ करने से मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस एरिया की फंक्शनिंग बेहतर होती है. यह एरिया लर्निंग और वर्बल मेमोरी में मदद करता है, जबकि अन्य तरह के एक्सरसाइज़, जैसे- बैलेंस एक्सरसाइज़ेज़, मसल्स टोनिंग एक्सरसाइज़ेज़ और रेसिस्टेंस ट्रेनिंग मस्तिष्क को अपेक्षाकृत कम प्रभावित करते हैं. यहां तक कि जो लोग नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करते हैं, उनका प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स और मेडिकल कोर्टेक्स भी स्वस्थ रहता है. ग़ौरतलब है कि मस्तिष्क का यह हिस्सा सोचने की क्षमता और याद्दाश्त को प्रभावित करता है. यह भी पढ़े: मां से मॉम तक: ये हैं बॉलीवुड की मॉडर्न मॉम (Bollywood Actress And Most Stylish Mom In Real Life)
कितनी देर एक्सरसाइज़ करना चाहिए?
6 से 17 वर्ष की आयुवाले बच्चों को रोज़ाना 1 घंटे व 18 से 64 वर्ष से वयस्कों को आधे घंटे शारीरिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि एक्सरसाइज़ करने से एक्स्ट्रा क्लास से ज़्यादा फ़ायदा मिलता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, फिज़िकल एजुकेशन की क्लास सुबह के समय रखना ज़्यादा फ़ायदेमंद होता है. बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय बनाने के लिए स्कूल को फिज़िकल एजुकेशन क्लासेज़, स्कूल स्पोर्ट्स इत्यादि को बढ़ावा देना चाहिए
क्या कॉलेज स्टूडेंट्स को एक्सरसाइज़ से फ़ायदा मिलता है?
एक्सरसाइज़ से स़िर्फ स्कूल जानेवाले बच्चों को ही नहीं, कॉलेज स्टूडेंट को भी मदद मिल सकती है. हालांकि भारत के ज़्यादातर कॉलेज़ व यूनिवर्सिटी में फिज़िकल एजुकेशन पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होता, लेकिन कुछ कॉलेज इस दिशा में काम कर रहे हैं.

- शिल्पी शर्मा

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